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Easy Business

            सच तो यह है कि आज के इस मंहगाई व प्रतिस्पर्धा (Competition) के ज़माने में आम आदमी के लिए दो वक्त कि रोटी कमाना भी मुश्किल हो गया है। क्योंकि आपको अपनी दूकान अथवा बिजनेस में लाखों रुपया लगाकर भी कोल्हू के बैल कि तरह सुबह से शाम तक बारह घंटे लगातार ड्युटी देते हुए प्रतिस्पर्धा (Competition) की दौड़ में भी शामिल होना पड़ता है, जिससे सारे खर्च (सेल टेक्स, बिजली, व अन्य) निकाल कर बचत अक्सर बिलकुल ख़त्म हो जाती है। और आजकल उधार का ज़माना है, उधार के बगैर आप कोई भी बिजनेस नहीं कर सकते, तो कम-से-कम 20% उधार अवश्य ही डूब जाती है। इस तरह आजकल रुपया कमाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। और ऊपर से हर माँ -बाप को चिंता होती है अपने बच्चों के कैरियर की, क्योंकि शिक्षा इतनी महंगी हो गई है कि माँ-बाप अपने बच्चों की परवरिश के साथ-साथ उनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्च भी बड़ी मुश्किल से उठा पाते हैं और अच्छी शिक्षा के लिए तो बच्चों को स्कूल के साथ साथ ट्यूशन भी लगवानी पड़ती है। ऐसे में कुछ बच्चों के घरेलु हालात कमज़ोर होने पर 8वीं या 10वीं कक्षा तक ही पढ़ पाते हैं। जिसकी सरकारी नौकरी के लिए कोई वैल्यू नहीं। और अगर कुछ बच्चों के घरेलु हालात अच्छे होते हैं तो वह पढ़ लिख कर डिग्री हासिल कर ही लेते हैं, तो उनको भी समस्या आ जाती है, सरकारी नौकरी की और आजकल सरकारी नौकरी मिलना तो बहुत ही मुश्किल हो गया है, क्योंकि जनसंख्या इतनी बढ़ गई है कि मुश्किल से 8% या 10% बच्चों को ही दस या बारह हज़ार रूपये महीना कि नौकरी ही मिल पाती है। और फिर शादी के बाद नौकरी में भी परेशानी होने लगती है क्योंकि दस या बारह हज़ार रूपये महीना कि पगार से वो अपने घर का खर्च नहीं उठा पाते जैसे दूध, किरयाना, बिजली के बिल तथा अन्य खर्चे बढ़ जाते हैं, उधर ऑफिस में ऑफिसर की चमचागिरी व तबादले का डर ऐसे में आप गाड़ी, बंगला व सुख-चैन की जिंदगी जीने के लिए सपने में भी नहीं सोच सकते। और जिन बच्चों को डिग्री हासिल कर लेने पर भी नौकरी नहीं मिलती और वो दिन-रात मेहनत करके थोड़ा बहुत रूपया कमाते हैं, जिससे वह अपना खर्च नहीं चला पाते और वो कई बार तो अधिक धन कमाने के लिए बुरी आदतों का शिकार हो जाते हैं। जैसे जुआ खेलना, सट्टा लगाना, लॉटरी के टिकट खरीदना आदि, इनसे इंसान कभी जीत तो नहीं सकता मगर अपनी ज़िन्दगी भी शराब आदि नशे में डुबो कर अपना सब कुछ (मेहनत से कमाया हुआ रूपया व सबसे बड़ी चीज़ समाज में अपनी इज्ज़त यानि विशवास) खो देता है। यदि आप पर से लोगों का विशवास उठ गया तो फिर आप जिंदगी में कभी कोई भी बिजनेस नहीं कर सकते, इस तरह उनकी जिंदगी बेकार हो जाती है। तथा माँ-बाप के सारे सपने टूट कर चूर-चूर जाते हैं। क्योंकि बच्चा जब पैदा होता है तो माँ-बाप ख़ुशी से फूले नहीं समाते और न जाने कैसे-कैसे सपने देखते है और इस तरह आजकल धन की तंगी के कारण आम आदमी के लिए इस महंगाई के ज़माने में हालात से लड़ते हुए घर का खर्च चलाना व बच्चों की परवरिश करना बहुत ही मुश्किल हो गया है। और वो बच्चों के कैरियर पर विशेष ध्यान नहीं दे पाते यदि ऐसे में आपके घर कोई मेहमान आ जाए (वैसे तो मेहमान, भगवान् का रूप होता है) तो वह भी बोझ महसूस होता है। क्योंकि आजकल हर आदमी रोज़गार व महंगाई को लेकर काफी परेशान है। इसलिए आप चाह कर भी अपने दोस्तों व रिश्तेदारों की मदद नहीं कर सकते तथा लोगों के दिलों में आपसी प्रेम-प्यार भी भावना भी खत्म होती जा रही है। और इस महंगाई के कारण ही आज लोग घर खर्च चलाने के लिए मजबूरन सारा-सारा दिन काम में लगे रहते हैं। अर्थात व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि लोग अपना घर, अपने बच्चों व यहाँ तक कि खुद अपने लिए भी समय नहीं निकाल पाते, यदि आप मुश्किल से समय निकाल कर बच्चों को छुट्टियों में कहीं घुमाने ले भी जाते हैं तो भी परेशानी केवल पैसे की ही रहती है। और अक्सर इन परेशानियों के कारण ही इंसान बीमार पढ़ जाता है। कई बार तो बिमारी इतना भयानक रूप धारण कर लेती है कि उस पर लाखों रुपया लग जाता है। जिनके पास इतना रुपया भी न हो कि वो इलाज करवा सकें, ज़रा सोचिए! उन पर क्या गुज़रती होगी। क्योंकि एक तरफ तो बीमारी पर सारा पैसा लग जाता है, और दूसरी तरफ इन्कम बंद हो जाती है। क्योंकि दूकान अथवा बिजनेस में तो टाईम लगाने पर ही पैसा मिलता है अन्यथा पैसा मिलना तो दूर दिन प्रतिदिन अपना बिजनेस भी चोपट होता चला जाता है ऐसे में ज़रा सोचिए, "क्या आप अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बना पाएँगे"? जवाब कभी नहीं, आप जो काम बिजनेस, दूकान अथवा नौकरी कर रहे है, उस हिसाब से आप अपने आप से पूछिए, एक साल पहले बैंक में कितना पैसा था"? जवाब, कुछ नहीं, "आज बैंक में कितना पैसा है" जवाब, कुछ नहीं, "एक साल बाद बैंक में कितना पैसा होगा" जवाब, कुछ नहीं! क्योंकि बच्चों कि ज़रूरतें लगातार बढ़ रही हैं, महंगाई कि अपेक्षा आमदन बढ़ नहीं रही, कारोबार में लगातार गिरावट आ रही है, मगर फिर भी जैसा की ऊपर दिया गया है, हर माँ-बाप को अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए जिंदगी में कितना बड़ा रिस्क लेना पड़ता है। वैसे तो इंसान की ज़िन्दगी हर कदम एक रिस्क ही है, जैसे:- आप अपनी दूकान अथवा बिजनेस में लाखों रुपया लगाते हैं, फिर भी चले या न चले ये भी एक रिस्क ही है, आप किसी को उधार देते है, वो भी एक रिस्क है, आप अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व कोर्सों पर लाखों रुपया लागतें हैं, फिर भी वो कामयाब हों या न हों, ये भी एक रिस्क है, कुछ लोग अपना घर-परिवार, अपना वतन, अपने लोग व अपना सब कुछ छोड़ कर लाखों रुपया लगा कर धन कमाने के लिए विदेशों में चले जाते है, वहां वो कामयाब हो या न हो, ये भी एक रिस्क है, अगर कोई व्यक्ति लाखों-करोड़ों रुपए लगा कर चुनाव लड़ता है, वो उसमे जीते या हारे ये भी एक रिस्क है, मगर कोई भी व्यक्ति इतनी मुश्किल से इतनी मेहनत से कमाए हुए रुपयों से रिस्क लेने से डरता है। परन्तु रिस्क के बगैर भी कोई व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।
            तात्‍पर्य यह है कि ऐसे जीवन का क्या फायदा जहाँ सुबह से लेकर रात तक और पूरी ज़िन्दगी काम ही काम, और फिर भी कुछ हासिल न हो। क्योंकि नौकरी अथवा दुकानदारी करके इंसान जीवन भर एक कैदी का जीवन ही जीता है। ऐसे में कई बार कुछ लोग पैसा कमाने के लिए गैरकानूनी कारोबार का सहारा ले लेते हैं जिससे पैसा आए या न आए मगर वह समाज में अपनी व अपने परिवार की इज्ज़त तो खो ही देते हैं और अगर पुलिस के द्वारा पकड़े गए तो...ख़ुद की लाईफ तो खत्म, परिवार का क्या होगा...? ये तो कोई नहीं जानता।
            वैसे तो जिस तरह से कई विज्ञानिकों ने बड़े-बड़े रिस्क लेकर क्या कुछ नहीं किया, अगर वो रिस्क न लेते तो आज हमारे पास बिजली, टेलिविज़न, फ्रिज, कुलर, वाशिंग मशीन, एयर कंडिशन, गैस व गैस चूल्हे, कार, रेलगाड़ी, हवाई जहाज़, टेलिफ़ोन, मोबाईल फोन, फैक्स, कंप्यूटर, सिलाई मशीन और भी तरह-तरह की सुख सुविधाएँ कुछ भी न होता, और अब वो अपनी ज़िन्दगी का रिस्क लेकर समुन्द्र तल, चंद्रमा, मंगल ग्रह व पूरे सौर मंडल में पहुँचकर इंसान के लिए और भी बहुत सारी सुख सुविधाएँ खोजने में लगे हुए हैं, इसलिए हर इंसान को सबसे पहले सपनों की एक मंजिल बनानी चाहिए, और फिर रिस्क लेकर मंजिल को पाना चाहिए, क्योंकि हर मंजिल को पाने के लिए रिस्क लेना ही पड़ता है और रिस्क लेने के लिए धन की ज़रूरत होती है। अत: आज धन कमाने के लिए सभी लोगों को जरूरत है एक ऐसे ही बिजनेस की जिसमें वो टेंशन फ्री होकर, मौज-मस्ती करते हुए थोड़े ही समय में थोड़ी सी मेहनत करके अधिक धन कमा सके, तो अब आप घबराइए मत!
            जैसे की अब Market My City लेकर आई है एक ऐसा ही बिजनेस जिसमें थोड़ी सी मेहनत करके बहुत सारा धन कमाएंगे आप।

Easy Earn Money

            सच तो यह है कि आज के इस मंहगाई व प्रतिस्पर्धा (Competition) के ज़माने में आम आदमी के लिए दो वक्त कि रोटी कमाना भी मुश्किल हो गया है। क्योंकि आपको अपनी दूकान अथवा बिजनेस में लाखों रुपया लगाकर भी कोल्हू के बैल कि तरह सुबह से शाम तक बारह घंटे लगातार ड्युटी देते हुए प्रतिस्पर्धा (Competition) की दौड़ में भी शामिल होना पड़ता है, जिससे सारे खर्च (सेल टेक्स, बिजली, व अन्य) निकाल कर बचत अक्सर बिलकुल ख़त्म हो जाती है। और आजकल उधार का ज़माना है, उधार के बगैर आप कोई भी बिजनेस नहीं कर सकते, तो कम-से-कम 20% उधार अवश्य ही डूब जाती है। इस तरह आजकल रुपया कमाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। और ऊपर से हर माँ -बाप को चिंता होती है अपने बच्चों के कैरियर की, क्योंकि शिक्षा इतनी महंगी हो गई है कि माँ-बाप अपने बच्चों की परवरिश के साथ-साथ उनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्च भी बड़ी मुश्किल से उठा पाते हैं और अच्छी शिक्षा के लिए तो बच्चों को स्कूल के साथ साथ ट्यूशन भी लगवानी पड़ती है। ऐसे में कुछ बच्चों के घरेलु हालात कमज़ोर होने पर 8वीं या 10वीं कक्षा तक ही पढ़ पाते हैं। जिसकी सरकारी नौकरी के लिए कोई वैल्यू नहीं। और अगर कुछ बच्चों के घरेलु हालात अच्छे होते हैं तो वह पढ़ लिख कर डिग्री हासिल कर ही लेते हैं, तो उनको भी समस्या आ जाती है, सरकारी नौकरी की और आजकल सरकारी नौकरी मिलना तो बहुत ही मुश्किल हो गया है, क्योंकि जनसंख्या इतनी बढ़ गई है कि मुश्किल से 8% या 10% बच्चों को ही दस या बारह हज़ार रूपये महीना कि नौकरी ही मिल पाती है। और फिर शादी के बाद नौकरी में भी परेशानी होने लगती है क्योंकि दस या बारह हज़ार रूपये महीना कि पगार से वो अपने घर का खर्च नहीं उठा पाते जैसे दूध, किरयाना, बिजली के बिल तथा अन्य खर्चे बढ़ जाते हैं, उधर ऑफिस में ऑफिसर की चमचागिरी व तबादले का डर ऐसे में आप गाड़ी, बंगला व सुख-चैन की जिंदगी जीने के लिए सपने में भी नहीं सोच सकते। और जिन बच्चों को डिग्री हासिल कर लेने पर भी नौकरी नहीं मिलती और वो दिन-रात मेहनत करके थोड़ा बहुत रूपया कमाते हैं, जिससे वह अपना खर्च नहीं चला पाते और वो कई बार तो अधिक धन कमाने के लिए बुरी आदतों का शिकार हो जाते हैं। जैसे जुआ खेलना, सट्टा लगाना, लॉटरी के टिकट खरीदना आदि, इनसे इंसान कभी जीत तो नहीं सकता मगर अपनी ज़िन्दगी भी शराब आदि नशे में डुबो कर अपना सब कुछ (मेहनत से कमाया हुआ रूपया व सबसे बड़ी चीज़ समाज में अपनी इज्ज़त यानि विशवास) खो देता है। यदि आप पर से लोगों का विशवास उठ गया तो फिर आप जिंदगी में कभी कोई भी बिजनेस नहीं कर सकते, इस तरह उनकी जिंदगी बेकार हो जाती है। तथा माँ-बाप के सारे सपने टूट कर चूर-चूर जाते हैं। क्योंकि बच्चा जब पैदा होता है तो माँ-बाप ख़ुशी से फूले नहीं समाते और न जाने कैसे-कैसे सपने देखते है और इस तरह आजकल धन की तंगी के कारण आम आदमी के लिए इस महंगाई के ज़माने में हालात से लड़ते हुए घर का खर्च चलाना व बच्चों की परवरिश करना बहुत ही मुश्किल हो गया है। और वो बच्चों के कैरियर पर विशेष ध्यान नहीं दे पाते यदि ऐसे में आपके घर कोई मेहमान आ जाए (वैसे तो मेहमान, भगवान् का रूप होता है) तो वह भी बोझ महसूस होता है। क्योंकि आजकल हर आदमी रोज़गार व महंगाई को लेकर काफी परेशान है। इसलिए आप चाह कर भी अपने दोस्तों व रिश्तेदारों की मदद नहीं कर सकते तथा लोगों के दिलों में आपसी प्रेम-प्यार भी भावना भी खत्म होती जा रही है। और इस महंगाई के कारण ही आज लोग घर खर्च चलाने के लिए मजबूरन सारा-सारा दिन काम में लगे रहते हैं। अर्थात व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि लोग अपना घर, अपने बच्चों व यहाँ तक कि खुद अपने लिए भी समय नहीं निकाल पाते, यदि आप मुश्किल से समय निकाल कर बच्चों को छुट्टियों में कहीं घुमाने ले भी जाते हैं तो भी परेशानी केवल पैसे की ही रहती है। और अक्सर इन परेशानियों के कारण ही इंसान बीमार पढ़ जाता है। कई बार तो बिमारी इतना भयानक रूप धारण कर लेती है कि उस पर लाखों रुपया लग जाता है। जिनके पास इतना रुपया भी न हो कि वो इलाज करवा सकें, ज़रा सोचिए! उन पर क्या गुज़रती होगी। क्योंकि एक तरफ तो बीमारी पर सारा पैसा लग जाता है, और दूसरी तरफ इन्कम बंद हो जाती है। क्योंकि दूकान अथवा बिजनेस में तो टाईम लगाने पर ही पैसा मिलता है अन्यथा पैसा मिलना तो दूर दिन प्रतिदिन अपना बिजनेस भी चोपट होता चला जाता है ऐसे में ज़रा सोचिए, "क्या आप अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बना पाएँगे"? जवाब कभी नहीं, आप जो काम बिजनेस, दूकान अथवा नौकरी कर रहे है, उस हिसाब से आप अपने आप से पूछिए, एक साल पहले बैंक में कितना पैसा था"? जवाब, कुछ नहीं, "आज बैंक में कितना पैसा है" जवाब, कुछ नहीं, "एक साल बाद बैंक में कितना पैसा होगा" जवाब, कुछ नहीं! क्योंकि बच्चों कि ज़रूरतें लगातार बढ़ रही हैं, महंगाई कि अपेक्षा आमदन बढ़ नहीं रही, कारोबार में लगातार गिरावट आ रही है, मगर फिर भी जैसा की ऊपर दिया गया है, हर माँ-बाप को अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए जिंदगी में कितना बड़ा रिस्क लेना पड़ता है। वैसे तो इंसान की ज़िन्दगी हर कदम एक रिस्क ही है, जैसे:- आप अपनी दूकान अथवा बिजनेस में लाखों रुपया लगाते हैं, फिर भी चले या न चले ये भी एक रिस्क ही है, आप किसी को उधार देते है, वो भी एक रिस्क है, आप अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व कोर्सों पर लाखों रुपया लागतें हैं, फिर भी वो कामयाब हों या न हों, ये भी एक रिस्क है, कुछ लोग अपना घर-परिवार, अपना वतन, अपने लोग व अपना सब कुछ छोड़ कर लाखों रुपया लगा कर धन कमाने के लिए विदेशों में चले जाते है, वहां वो कामयाब हो या न हो, ये भी एक रिस्क है, अगर कोई व्यक्ति लाखों-करोड़ों रुपए लगा कर चुनाव लड़ता है, वो उसमे जीते या हारे ये भी एक रिस्क है, मगर कोई भी व्यक्ति इतनी मुश्किल से इतनी मेहनत से कमाए हुए रुपयों से रिस्क लेने से डरता है। परन्तु रिस्क के बगैर भी कोई व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।
            तात्‍पर्य यह है कि ऐसे जीवन का क्या फायदा जहाँ सुबह से लेकर रात तक और पूरी ज़िन्दगी काम ही काम, और फिर भी कुछ हासिल न हो। क्योंकि नौकरी अथवा दुकानदारी करके इंसान जीवन भर एक कैदी का जीवन ही जीता है। ऐसे में कई बार कुछ लोग पैसा कमाने के लिए गैरकानूनी कारोबार का सहारा ले लेते हैं जिससे पैसा आए या न आए मगर वह समाज में अपनी व अपने परिवार की इज्ज़त तो खो ही देते हैं और अगर पुलिस के द्वारा पकड़े गए तो...ख़ुद की लाईफ तो खत्म, परिवार का क्या होगा...? ये तो कोई नहीं जानता।
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आपके अपने शहर का अपना बाज़ार
जिसमें होगी आपके अपने शहर की हर दुकान व हर कारोबार

Happy Life

*अब बाज़ार आपके द्वार के तहत*
"MARKET MY CITY" में पुरे भारत के हर शहर व हर गाँव सहित पूरे विश्व के हर छोटे-बड़े कारोबार, दुकान, ऑफिस, स्कूल, अस्पताल, कोचिंग सेंटर, ट्रेनिंग सेंटर, फैक्टरी, शॉपिंग मॉल, संस्थान व आवश्यकताएँ (नौकरी व वर्कर ढूँढना इत्यादि) व हर तरह के मिस्त्री, मज़दूर, ठेकेदार, केटरिंग व टैक्सी (बस, कार, जीप, टेम्पो) इत्यादि व हर प्रकार की छोटी-बड़ी माल लादने की गाड़ियों (ट्रक, कैंटर, तिपहिया गाड़ी इत्यादि) को हमारे फ्रेंचाईज़ी से या हमारे किसी भी रजिस्ट्रेशन ऑफिसर के द्वारा दर्ज करवा सकते हैं। जिससे किसी भी शहर का कोई भी व्यक्ति अपने मोबाईल अथवा कंप्यूटर पर घर बैठे ही इंटरनेट से www.marketmycity.com में आपके द्वारा दर्ज करवाए गए कारोबार, दुकान, ऑफिस, स्कूल, अस्पताल, कोचिंग सेंटर, ट्रेनिंग सेंटर, फैक्टरी, शॉपिंग मॉल, संस्थान इत्यादि को देखकर आपसे संपर्क करके कुछ भी खरीद व आपकी सभी सेवाओं जैसे:- गाड़ियों की बुकिंग, मैट्रिमोनियल, केटरिंग, प्लेसमेंट इत्यादि या कोई भी लेबर वर्क जैसे:- पेंटर, कारपेंटर, व किसी भी प्रकार के मिस्त्री, (भवन बनाने वाले व अन्य) मज़दूर, ठेकेदार, वेल्डर इत्यादि का लाभ उठाकर समय और पैसा दोनों ही बचा सकता है।
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  1. 'आपकी दुकान अथवा कोई भी कारोबार' आपके शहर की किसी भी गली, मोहल्ले या बाज़ार में हो मगर "MARKET MY CITY" में दिखाई गई आपके शहर की मेन मार्केट में ही लगाई जाएगी। जिससे कोई भी उपभोक्ता आपसे आसानी से सम्पर्क कर सकेगा। यदि आपका व्यवहार कुशल है और आप अपना कारोबार पूरी लगन और मेहनत से करके अच्छी सर्विस दे सकते हैं, तो अपना कारोबार "MARKET MY CITY" में अवश्य दर्ज करवाएँ और दोहरा लाभ उठाएं। या "MARKET MY CITY" में अपना व अपने बच्चों के नाम कोड बुक करवाएं और पैसा कमाने की टेंशन से हमेशा के लिए मुक्त हो जाएँ।
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